Wednesday, July 27, 2016

RJS Mains All Criminal Minor Acts Hindi Model Paper

खण्ड-क
1
साईबर क्राईम को परिभाषित कीजिए ?
2
सूचना प्रोधौगिकी अधिनियम में मध्यस्थ कौन हैं?
3
साईबर अपीलीय अधीकरण में अपील की अवधि क्या हैं?
4
    धारा 138 के अपराधों के विचारण के लिए कौन सक्षम हैं?
5
परिवीक्षा अधिकारी किसके नियन्त्रण के अधीन रहता हंै ?
6
      किशोर या बालक के प्रति क्रुरता के लिए दण्ड बताईये?
7
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख ओर संरक्षण अधिनियम) में किन किषारों का सम्मिलित किया घ्
8
विषेष न्यायालय क्या हैं और स्थापना कौन करता हैं?
9
क्या 360 सी.आर.पी.सी. का लाभ किया जा सकता हैंै?
10
साईबर सुरक्षा क्या हैं?
11
सूचना प्रोधौगिकी अधिनियम में प्रेषिती कौन हैं?
12
सूचना प्रोधौगिकी अधिनियम में प्रस्तुतकर्ता कौन हैं?
  13
धारा 138 के अपराधों के विचारण के लिए कौन सक्षम हैं?
14
विनिमय पत्र क्या हैंैं?
15
परिवीक्षा अधिनियम किन पर लागू नहीं ?

  खण्ड ख 
       
1
सूचना प्रोधौगिकी अधिनियम का उद्धेष्य क्या हैं?
       
2
परिवीक्षा अधिकारियों के कर्तव्य बताईये?
3
      किषोर अधिनियम को सुुचारू रूप से लागू करने के लिए सरकार का क्या कर्तव्य हैं?

4
देखरेख व संरक्षण हेतु जरूरतमंद बालक से आप क्या समझते हैं?
5
एन. आई के मामले में साक्ष्य के विषेष नियम क्या हैंैं?
6
किशोर की जमानत संबंधी प्रावधान बताईये?
7
निष्काषन से आप क्या समझते हैंै?
8
भारतीय कम्प्युटर आपात प्रतिक्रिया दल, साईबर सुरक्षा के क्षेत्र में किन कार्यो को करेगी?
9       
बाल कल्याण समिति के समक्ष कौन बच्चो को पेष करता हैं एवं उसकी क्या शक्तियां हैं?
10          
पुनर्वास और सामाजिक सुधार संबंधि प्रावधान के बारे में बताइयेघ्


खण्ड-ग

1
संप्रेक्षण गृह/विषेष गृह/बाल गृह के बारे में समझाईय
2
अधिनियम में वर्णित विभिन्न अपराध तथा दण्ड बताईये?
3
आई. टी. एक्ट, 2000 की मुख्य विषेषताएॅं तथा उद्धेष्य क्या हैंैं?
4
बाल कल्याण समिति क्या हैं, इसकी प्रक्रिया क्या हैं एवं इसकी शक्ति के बारे में बताईयें
  5        
चैकों के अनादरण संबंधी प्रावधानों का वर्णन किजिए


RJS Mains Criminal Minor Acts English Model Paper

      CRIMINAL MINOR-C
PART –A 
1.         Define cyber crime? (I. T. Act)

2.       Who is intermediary in I. T. Act? (I. T. Act)

3.       What is the time period of appeal in cyber appellate tribunal? (I. T. Act)

4.         Who is the competent authority under Sec. 138? (N. I. Act)

5.         Under whose control probation officer is? (Probation)

6.       What is the punishment for cruelty to juvenile or child under J. J. act?(J. J. Act)
   
7.         Which juveniles /children are included in juvenile justice act, 2000? (J. J. Act)

8.       What is special court and who has power to establish the special court? (SC/ST Act)

9.         Can benefit of Section 360 of CRPC be given in SC/ST Act (SC/ST Act)

10.      What is cyber security? (I. T. Act)

11.       Who is addressee in I. T. Act? (I. T. Act)

12.       Who is originator in I. T. Act? (I. T. Act)

  13.          Who is the competent authority under N.I. Act. Sec. 138? (N. I. Act)

14.       What is Bill of exchange? (N. I. Act)

15.       On whom probation of offender act does not apply? (Probation)


PART –B 
         
1        What is the object of I. T. Act? (I. T. Act)

           
2.       Duties of probation officers? (Probation)

3.         What are the duties of government to ensure effective implementation of the act? (J. J. Act)
       

4.         What do you understand by child in need of care and protection? (J.J. Act)

5          In case of N. I. what are the special rules of evidence? (N. I. Act)

6.         What is the provisions for the bail of juvenile? ( J. J. Act)

7.         What do you understand by externment? (SC/ST Ac)

8          What functions shall be performed by the Indian computer emergency response team in the area of cyber security? (I. T. Act)

9              Who produces children before child welfare committee and what is its power? (J.J. Act)

10.           Provision for rehabilitation and social reintegration? (J. J. Act)



PART –C 

1.       Explain Observation home/Shelter home/ Children home? (J. J. Act)

2.         Define different offences and punishment under SC/ST Act? (SC/ST)

3.         What is the procedure for reporting case in I.T.? (I.T. Act)

4.         What is Child Welfare Board, what is its procedure and explain its powers? (J. J. Act)

  5         Explain the provisions related to dishonor of cheques? (N. I. Act)

Wednesday, June 15, 2016

Padhai likhayi (study) me man nahi lagta - hindi post

Ye post un baccho or bado ke liye h jinkaa man padhai study me nahi lagta. Ya jinko padh na likhna ek problom lagta h. Ye post fb Master sanjay sinha ji ki profile se li gayi h. Plz isse dhyan se padhe or bade or baccho ke sath share karen.
मेरी आज की कहानी बड़ों से ज्यादा बच्चों के लिए है। अब बच्चे तो मेरे दोस्त हैं नहीं, तो बच्चों के पापाओं और बच्चों की मम्मियों से मैं अनुरोध करूंगा कि मेरी आज की पोस्ट वो अपने बच्चों को ज़रूर सुनाएं।
कल मैं दिल्ली के एक बड़े शॉपिंग मॉल में गया। वहां मुझे एक दुकान में स्टोर मैनेजर से मिलना था। मैंने दुकान में खड़े सिक्योरिटी गार्ड से पूछा कि स्टोर मैनेजर कहां मिलेंगे। गार्ड मुझे अपने साथ मैनेजर के केबिन तक लेकर गया। वहां मुझे कमरे में एक दुबला-पतला युवक बैठा दिखा। उसने मोटा सा चश्मा लगा रखा था। गार्ड ने मुझे दूर से दिखाया कि यही मैनेजर हैं।
मैं मैनेजर के पास गया। मुझे उससे उसके स्टोर से खरीदे किसी सामान की शिकायत करनी थी।
मैनेजर ने ध्यान से मेरी बात सुनी और उसने मुझसे बैठने का इशारा किया और कहा कि वो इस सामान के विषय में किसी से फोन पर बात करके अभी लौट कर आ रहा है।
मैं मैनेजर का इंतज़ार करने लगा। संजय सिन्हा मैनेजर का इंतज़ार करने लगें, ये कितनी देर तक मुमकिन रहता?
मिनट भर बाद ही मुझे लगने लगा कि बहुत देर हो गई है।
कुछ पत्रकारों को छोटे लोगों पर रौब दिखाने की बुरी बीमारी हो जाती है। मुझे कल पता चला कि मैं भी इससे अछूता नहीं। एक मिनट बाद ही मुझे लगने लगा कि एक घंटा बीत गया है। मुझ जैसे पत्रकार को तो बड़े-बड़े नेता और अभिनेता भी इंतज़ार करने के लिए नहीं कहते, फिर ये अदना सा स्टोर मैनेजर मुझसे कह गया कि आप यहां बैठ कर इंतज़ार कीजिए!
***
मैं मैनेजर के कमरे से बाहर निकल आया, तो मैंने देखा कि वो छह फीट का गार्ड वहीं बाहर खड़ा है। अपनी आदत के मुताबिक मैं गार्ड से बात करने लगा।
“ये तुम्हारा मैनेजर कहां गया?”
“साहब, वो उस डिपार्टमेंट में गए हैं, जहां से आपने सामान लिया था।”
“ये मरियल सा चश्माधारी जानता नहीं कि मैं किसी का इंतज़ार नहीं करता। मैं सामान वापस करने आया था, फटाफट वापस करना चाहिए था।”
“पर साहब, सामान वापसी का नियम यही है। उस डिपार्टमेंट में उसके विषय में रिपोर्ट लिखानी पड़ती है। मैनेजर उनसे जवाब-तलब करते हैं कि गड़बड़ी क्यों हुई। फिर वो वाउचर पर साइन करके आपको दे देंगे।”
पत्रकारों को एक बीमारी बेवजह बात खींचने की भी होती है। मैं भी लगा रहा उस गार्ड से।
“तुम तो इतने हैंडसम हो। छह फीट के हो। तुम मैनेजर से डरते हो क्या?”
“साहब, मेरा हैंडसम होना, मेरा छह फीट का होना कोई मायने नहीं रखता। वो आदमी मुझसे अधिक पढ़ा लिखा है।”
“पढ़ा-लिखा है तो क्या हुआ, तुमसे ज़्यादा शक्तिशाली थोड़े न है?
“कैसी बातें करते हैं साहब! उसके पास कलम की ताकत है। यह तो आप भी जानते ही होंगे कि शरीर की ताकत से अधिक ताकत कलम में होती है।”
“फिर तुमने पढ़ाई क्यों नहीं की?”
“इस बात का तो ज़िंदगी भर अफसोस रहेगा। मां-बाप स्कूल भेजते थे, मैं ही स्कूल से भाग कर खेलने निकल जाता था। मां-बाप ने गांव में टीचर को घर बुला कर भी पढ़ाने की कोशिश की, पर अफसोस की मेरी किस्मत में पढ़ाई थी ही नहीं।”
अब मुझे लगने लगा कि मैंने बेकार में ये टॉपिक इस गार्ड से छेड़ दिया। उसे सांत्वना देने के लिए मैंने कहा कि गांव में पढ़ाई का माहौल भी तो नहीं होता। स्कूल-कॉलेज भी ठीक नहीं होते।
“नहीं साहब! ये सही बहाना नहीं है पढ़ाई न कर पाने के लिए। गांव में भी सरकार ने स्कूल खोले हैं। और तो और थोड़ी दूर ही शहर में कॉलेज भी है। नहीं पढ़ने के हज़ार बहाने होते हैं। मैं तो कहता हूं कि जो भी यह बहाना करता है कि उसे पढ़ने का मौका नहीं मिला, वो एकदम झूठ बोलता है। मैं यह तो मान सकता हूं कि शहर के स्कूलों में अलग टीचर होते होंगे, पर गांव में भी वही किताबें पढ़ाई जाती हैं। असल में पढ़ वही बच्चा सकता है, जिसके सामने पढ़ने की मजबूरी हो या फिर उसे पढ़ने का शौक हो।”
“तुम इतना समझदार हो, फिर तो तुम्हें पढ़ाई करनी चाहिए थी।”
“बस साहब इसी को किस्मत कहते हैं। ये जो मैनेजर है न! वो मेरे गांव का ही है। वो भी उसी स्कूल में पढ़ा है। बाद में ये आगे पढ़ाई के लिए शहर चला गया। पर अपने बूते पर गया। हम ढेर सारे बच्चे जो आज छह फीट के हैं, बचपन में इसका मज़ाक उड़ाया करते थे। जिस दिन स्कूल में मास्टर नहीं आते हम वहां से निकल कर दो मील दूर सिनेमा देखने पैदल चले जाते थे। ये पेड़ के नीचे बैठ कर कुछ-कुछ पढ़ता था। मेरे पिताजी के पास जमीन थी, इसके पास कुछ नहीं था। मुझे जमीन का घमंड था। पिताजी ने बहुत कोशिश की कि मैं पढ़ लूं। पर मैं नहीं पढ़ पाया। फिर पिताजी की बीमारी में जमीन बिक गई। मैं बेरोजगार बैठा था। गांव में कोई पूछने वाला नहीं था। बहुत दिनों बाद यही लड़का, जिसे आप मरियल कह रहे हैं, मुझसे मिलने आया। मैंने इससे अपनी तकलीफ साझा की। ये मुझे अपने साथ दिल्ली लेकर आया। मुझे किसी तरह यहां इसने नौकरी दिलाई। फिलहाल खर्चा-पानी चल रहा है।

साहब ये तो कहता है कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, अभी भी प्राइवेट पढ़ाई पूरी करो। ये मुझे आज भी पढ़ने के लिए उकसाता है। इसने गांव के ढेर सारे बच्चों की, जो कुछ नहीं करते थे, अपनी तरफ से मदद की है। ये कहता है कि सरकार को कोसना बंद करो। लोगों पर हंसना बंद करो। पढ़ाई करो। नहीं तो एक दिन लोग तुम पर हंसेंगे, तुम्हें कोसेंगे।
साहब! मैं तो कहता हूं कि आप भी उन बच्चों को, जो बच्चे स्कूल से भाग कर यहां मॉल में शॉपिंग करते या सिनेमा देखते नज़र आएं, समझाइएगा कि आज की ये मस्ती कल तुम्हें भारी पड़ेगी।”
***
मैं हैरान होकर उस गार्ड की बातें सुनता रहा। सोचता रहा।
फिर मुझे लगा कि कुल दो मिनट में यह गार्ड मुझे कितनी बड़ी बात समझा गया।
“लोगों को कोसना बंद करो। लोगों पर हंसना बंद करो। पढ़ाई करो। नहीं तो एक दिन लोग तुम पर हंसेंगे, तुम्हें कोसेंगे।”
***
मैनेजर वापस आ चुका था। उसने मेरे पैसे रिफंड करने का वाउचर मुझे दिया। असुविधा के लिए स्टोर की ओर से मुझसे माफी मांगी। हाथ मिला कर चला गया।
‪#‎Rishtey‬ Sanjay Sinha

जिन्दगी की समस्याओ का समाधान खूद करे !!

एक महिला ने मुझे बिलखते हुए फोन किया कि उसकी ज़िंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा, क्या मैं उसे अपने चैनल पर भविष्य बताने वाले पंडित का नंबर दे सकता हूं?
फोन आने के बाद मैं बहुत परेशान रहा।
क्या सचमुच पंडित उसकी समस्या का समाधान कर सकता है? क्या सचमुच पंडितजी उससे यह कह दें कि आप सोमवार को शिव जी जल चढ़ा आइएगा, तो उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा?
मैंने पंडितजी से बात की। मैंने उनसे पूछा कि क्या समचुमच आपके बताए उपाय से कुछ होता है?
पंडित जी मुस्कुराने लगे। फिर उन्होंने मुझसे कहा कि संजय सिन्हा, आपको समझाने के लिए मुझे विज्ञान का सहारा लेना पड़ता है, बाकियों को तो मैं अंधविश्वास के मार्ग से भी कहीं पहुंचा सकता हूं, पर आपके लिए मुझे तर्क का मार्ग चुनना पड़ेगा।
और पंडित जी ने मुझसे एक किताब ‘जादू’ की चर्चा की।
मैं चुपचाप उन्हें सुनता रहा। वो बोलते रहे कि क्या आप जानते हैं कि दुनिया में जादू होता है?
“नहीं, जादू नहीं होता। दुनिया में चमत्कार हो ही नहीं सकता।”
“होता है। जादू तब होता है, जब आप उस पर भरोसा करते हैं। जब आप खुद पर भरोसा करते हैं।”
“कैसे?”
"आप घर से बाहर जाइए। सड़क से एक छोटा सा पत्थर उठाइए। उसे घर में लेकर आइए और धो-पोंछ कर उसे जेब में रख लीजिए। फिर मन में सोचिए कि मैं कोई भी नया काम करूंगा तो यह पत्थर मेरी मदद करेगा। जब तक यह पत्थर मेरी जेब में है, मेरा हर काम बनेगा।
आप देखेंगे कि आश्चर्यजनक रूप से आपका काम बनने लगेगा। हर काम न भी सही, तो काफी कुछ सकारात्मक होने लगेगा। यही है जादू। मतलब जिस पत्थर को आपने सड़क से उठाया था, वो पत्थर जादू से भरा था।
दरअसल जादू पत्थर में नहीं, मन में होता है। ठीक वैसे ही, जैसे ईश्वर की परिकल्पना है। ईश्वर भी मन में होता है। आप सुबह यह सोच कर घर से निकलिए कि आज तो मेरा काम बनेगा, तो बहुत उम्मीद है कि आपका काम बन जाएगा। आप सोच कर निकलिए कि आपका काम बिगड़ जाएगा, तो मुमकिन है कि आपका काम बिगड़ जाए। मन का भाव बहुत महत्वपूर्ण है। कहने का अर्थ ये कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा होता है।"
“मतलब उस महिला की समस्या का समाधान आपके पास है?”
“नहीं। उस महिला की समस्या का समाधान उसी के पास है। पर उसे खुद पर भरोसा नहीं, उसे मुझ पर भरोसा है, इसलिए जादू मेरा भरोसा करेगा। मैं उससे कह दूंगा कि तुम फलां पत्थर की अंगूठी पहन लो, और उसने मेरे कहे पर भरोसा करके अंगूठी पहन ली, या मैंने कह दिया कि तुम फलां भगवान की पूजा कर लो, तो तुम्हारा काम हो जाएगा और अगर उसने पूरे मन से यह सोच कर ऐसा कर लिया कि इतना करने के बाद उसका काम बन जाएगा, तो काफी संभावना है कि उसका काम बन जाए।”
मैं पंडित जी की बातें सुन रहा था।
वो बोल रहे थे कि संसार में हर आदमी को जादू पर यकीन करना चाहिए। उसे अपने भरोसे के जादू पर यकीन करना चाहिए। उसे अपने आत्मबल के जादू पर यकीन करना चाहिए। उसे मानना चाहिए कि दुनिया में दुख है, दुख के बाद सुख है। यह सुख-दुख निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। इस सुख-दुख का संबंध शरीर की गति से कहीं अधिक मन की गति पर निर्भर करता है।
सचमुच पंडित जी सही कह रहे थे।
आपकी ज़िंदगी में भी जादू हो सकता है, बशर्ते आप खुद पर भरोसा करना जानते हों। मुझे परम यकीन है कि सचमुच अगर आप किसी चीज पर भरोसा करना सीख जाएं, तो जादू होने लगेगा। अपने आत्मबल को बढ़ाइए और खुद पर यकीन कीजिए कि इस संसार में सबकुछ मुमकिन है। मैं सबकुछ कर सकता हूं, ऐसा सोचिए और खुद अपनी ज़िंदगी में होने वाले जादू को देखिए।
मैंने सोच लिया है कि मैं उस महिला को पंडित जी का नंबर दे दूंगा और पंडित जी से कहूंगा कि आप उसे सड़क से एक पत्थर उठा कर उसी में अपने मन के विश्वास को बसाने की राय दीजिए। कहिए कि उसका काम हो कर रहेगा।
मुझे यकीन है कि उस महिला की समस्या का समाधान उस जादू के पत्थर से होकर रहेगा।
***
मेरी एक बहन हरिद्वार में गंगा में डुबकी लगा रही थी कि अचानक उसका पांव एक पत्थर पर पड़ा। उसने पत्थर उठा लिया। नदी की तेज़ धार में घिस-घिस कर पत्थर गोल हो गया था। उसे लगने लगा कि साक्षात शिवलिंग ही उसे मिल गया है। वो उसे उठा लाई। करीब दस साल हो गए, वो उसकी पूजा करती है। उसे विश्वास है कि भगवान खुद चल कर उसके पास आए हैं। मेरा यकीन कीजिए, तब का दिन है और आज का दिन है, बहन जो चाहती है, वो कर लेती है। उसे विश्वास हो गया है कि उसकी ज़िंदगी में जादू हुआ है।
आप भी मन के विश्वास को ज़िंदा रखिए। आपका भी हर काम बनेगा। यह बाबा संजय सिन्हा की भविष्यवाणी है।
By Sanjay Sinha fb post

Tuesday, June 7, 2016

हृदय घात, हार्ट अटैक और हार्ट फेल heart attack or heart fail information in hindi

मेरी आज की पोस्ट को बहुत ध्यान से पढ़िएगा। आप इसे और लोगों से साझा भी कीजिएगा। आज की पोस्ट सिर्फ पोस्ट नहीं, बल्कि एक ऐसी जानकारी है जिसे हम सबको जानना और समझना चाहिए।
आपने खबर पढ़ी होगी कि दो दिन पहले उत्तराखंड के एक आईएएस अधिकारी नोएडा के मॉल में अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ खाना खा रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। 39 साल के इस आईएएस अधिकारी का नाम था- अक्षत गुप्ता। ये उधमसिंह नगर में कलेक्टर थे।
इनकी पत्नी भी आईपीएस अधिकारी हैं और ये परिवार उत्तराखंड से नोएडा घूमने-फिरने के ख्याल से आया था। यह बताने के लिए आज मैं पोस्ट नहीं लिख रहा कि वो कितने लोकप्रिय अधिकारी थे, कितनी मेहनत करके वो आईएएस अधिकारी बने थे, या उनके दोनों बच्चे कितने छोटे हैं। मैं आज सिर्फ आगाह करने के लिए पोस्ट लिख रहा हूं कि उस अधिकारी के साथ अचानक जो हुआ, वो किसी के साथ कभी भी कहीं भी हो सकता है।
ऐसा जब भी होता है, पहले तो सामने वाले की समझ में नहीं आता कि अचानक हुआ क्या? फिर अफरा-तफरी में जब हम मरीज़ को अस्पताल ले जाते हैं, तो पता चलता है कि उसके प्राण-पखेरू उड़ चुके हैं। डॉक्टर कहता है यह अचानक दिल का दौरा पड़ने का मामला था।
तीन साल पहले अप्रैल का महीना था और मेरे छोटे भाई के साथ एकदम ऐसी ही घटना घटी थी। वो दफ्तर में बैठा था, अचानक उसकी तबियत बिगड़ी और उसकी मृत्यु हो गई। मैं पहले भी कई बार इस बारे में आपको बता चुका हूं। फिर से बता रहा हूं कि जैसे ही मेरे भाई के साथ ऐसा हुआ, वहां मौजूद लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया था। पर क्योंकि ऐसा होने में पांच मिनट की देर भी बहुत देर होती है, इसलिए मेरा भाई नहीं बचा था।
डॉक्टर ने कह दिया कि अचानक दिल का दौरा पड़ा था।
यह गलत रिपोर्ट थी। जब भी किसी के साथ ऐसा होता है, तो उसके साथ वाले अगर चाहें, अगर बीमारी को ठीक से समझें, तो बहुत मुमकिन है कि वो बच जाए। दुनिया में कई लोग बचे भी हैं। मैं अगर यह कहूं कि एक बार जयपुर से दिल्ली आते हुए मिड-वे पर एक लड़की के साथ बिल्कुल ऐसी ही घटना घटी थी और मैं क्योंकि तब तक अपना भाई खो चुका था, और मैं इस विषय को ठीक से समझ चुका था, इसलिए वो लड़की मेरे प्राथमिक उपचार से बच गई, तो आपको यकीन करना ही पड़ेगा।
दरअसल, जब अचानक किसी के साथ ऐसा होता है, तो वह दिल का दौरा नहीं होता। यह हृदय घात कहलाता है। हार्ट अटैक और हार्ट फेल में अंतर होता है। हार्ट अटैक दिल की बीमारी होती है, पर इस मामले में हार्ट फेल हो जाता है। इस बीमारी का नाम होता है ‘सडेन कार्डियक अरेस्ट’।
मुझे नहीं पता कि हमारे देश के स्कूलों में इस तरह की चीजें क्यों नहीं पढ़ाई जातीं, पर विदेशों में इस बारे में लोगों को बचपन से ही आगाह कर दिया जाता है।
सडेन कार्डियक अरेस्ट शब्द को आप गूगल पर टाइप करें और इस विषय में और जानकारी जुटाएं। इस जानकारी को सिर्फ अपने पास मत रखिए, उसे लोगों तक पहुंचाएं। इसका असली फायदा ही लोगों तक इस जानकारी का पहुंचने का है। सिर्फ आप इस बारे में जान कर अपना भला नहीं कर सकते।
कल्पना कीजिए कि जिस वक्त उस आईएएस अधिकारी के साथ उस रेस्त्रां में ये घटना घटी, अगर किसी व्यक्ति को इस बीमारी के विषय में पता होता, अगर खुद उनकी आईपीएएस पत्नी इस विषय में जानतीं, तो शायद वो अधिकारी बच जाता।
सडेन कार्डियक अरेस्ट कोई बीमारी नहीं है। यह हृदय घात है। कभी भी किसी का भी दिल पल भर के लिए काम करना बंद कर देता है। ठीक वैसे ही, जैसे बिना किसी वज़ह के कई बार घर की बिजली का फ्यूज़ उड़ जाता है। यह भी शरीर का फ्यूज़ उड़ने की तरह है।
जब कभी किसी को हृदय घात हो, उसकी छाती पर ज़ोर से मारना चाहिए, इतनी ज़ोर से कि चाहे पसलियां टूट जाएं, पर दिल की धड़कन दुबारा शुरू हो जाए। याद रहे, जितनी जल्दी आपकी समझ में ये बात आ जाएगी कि यह हृदय घात है, उतनी संभावना सामने वाले के बचने की होती है। एक मिनट के बाद देर होनी शुरू हो जाती है। आपको बस इसे पहचानना है कि यह सडेन कार्डियक अरेस्ट है।
ऐसा जब भी हो, आप पाएंगे कि मरीज की नब्ज रुक गई है। सांस भी रुक गई है। बस यहीं आपको डॉक्टर बुलाने से पहले प्राथमिक उपचार करने की ज़रूरत है। डॉक्टर को ख़बर करें, अस्पताल भी ले जाने की तैयारी करें, पर पहले उसकी छाती पर दोनों हाथों से जोर-जोर से मारें ताकि उसकी सांस लौट आए। ध्यान रहे, अगर सांस तुरंत लौट आती है, तो मरीज़ बच जाता है, वर्ना पाचं मिनट के बाद तो डॉक्टर भी हाथ खड़े कर लेगा। और आप इसे ईश्वर का विधान मान कर मन मसोस कर रह जाएंगे।
अमेरिका में बहुत से लोगों के साथ ऐसा होता है। वहां दुकानों, मॉल्स में ऐसी मशीन रखी रहती है, जिससे दिल को जिलाने का काम लिया जाता है। बहुत से मरीज बच जाते हैं। वहां के लोगों को इस मशीन को चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
हमारे यहां डॉक्टर केके अग्रवाल इस बीमारी को लेकर लोगों को काफी सतर्क करते हैं। वो बताते हैं कि जब भी ऐसा हो, फटाफट सावित्री आसन के ज़रिए मरीज को पहले बचाने की कोशिश करें।
याद है न सावित्री और सत्यवान की कहानी।
सत्यवान को अचानक ऐसा ही हृदयघात हुआ था और सावित्री उसकी छाती पर सिर पटक-पटक कर यमराज से अपने पति की जान लौटाने की गुहार लगा रही थी। उसने उसकी छाती पर इस कदर सिर पटका कि दिल की धड़कन दुबारा शुरू हो गई, और कहा गया कि सावित्री यमराज से अपने मर चुके पति की जान वापस ले आई।
मुझे लगता है कि यह कहानी सच्ची होगी। पर जान लौटी होगी उसके पति के थम चुके दिल पर बार-बार हुए प्रहार से। इसीलिए इसके प्राथमिक उपचार को नाम दिया गया है, सावित्री आसन। यानी जब भी आपके आसपास कहीं ऐसा हो, आपको पहली कोशिश करनी है उसकी छाती के बीच दोनों हाथों से तेज प्रहार करने की।
मुझे लगता है कि उस अधिकारी को अस्पताल ले जाने से पहले इस तरह का प्राथमिक उपचार हुआ होता तो वो बच जाता। अगर ऐसा ही फिल्मी कलाकार संजीव कुमार के साथ हुआ होता तो वो भी बच जाते। शफी ईनामदार, अमज़द खान भी हृदयघात से ही मरे थे। उन्हें भी प्राथमिक उपचार मिला होता तो वो आज ज़िंदा होते। पुणे के अपने दफ्तर में बैठा संजय सिन्हा का भाई भी आज ज़िंदा होता, अगर लोगों ने पहले मुझे दिल्ली फोन करने की जगह प्राथमिक उपचार किया होता। अगर लोग गाड़ी ढूंढ कर अस्पताल ले जाने की जगह पहले सावित्री आसन की विद्या को प्रयोग में लाए होते तो शायद मेरा छोटा भाई मेरे पास होता।
काश! काश! काश!
ज़िंदगी में बहुत से काश से आप बच सकते हैं, अगर आप किसी विषय की तह में जाकर उसे समझने की कोशिश करेंगे, अगर आप बीमारी को ठीक से समझने की कोशिश करेंगे। ईश्वरीय विधान से ऊपर कुछ नहीं। पर आदमी को कोशिश तो करनी ही चाहिए।
मैं तो इतना ही कह सकता हूं कि हमारी सरकार को शिक्षा पाठ्यक्रम में इन विषयों को शामिल करना चाहिए और इन्हें ज़रूर पढ़ाना चाहिए, ताकि आदमी जीना सीख सके।
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Sanjay Sinha fb profile

Monday, May 9, 2016

frustrated with parents what i should do- माता पिता से नही बनती क्या करै

Hello
Ye post me raat ke 1.40 am par likh rha hu.
Aap ye post padh rahe h matlab ya toh aap mere regular reader ho yaa fir abhi abhi aapka bhi apne mata pitaa (mom-dad) ya family members se kisi baat par bahas ya anban hui h.
Hmm ho gya mera b kisi baat par jagda aaj gharwalo se baat koi badi nahi par kya karen. Generation ka fark jo h. Unki b galti nahi meri b nahi.
Man me toh bahoot kuch aata h ye sab hone par.
Par fir samaj na padtaa h ki kahi na kahi hum b galat hote h haalanki har baar nahi par kabhi toh hote hi h or rahi baat aise choti moti ladai ki jo ghar me ya mata peeta parents se hoti rahti h sabke ghar me hoti h.
Mera ye post likhne ka ye maksad nahi h ki me aapko gyaan baat rha hu. Gyaani sab h aap b h par muge pta nahi kyo aisa lagta h ki jab dukhi aadmi dukhi se millta h toh usska dard kam ho jaata h.
Or family me ye jagde, ladaiyaa or anban chalti hi rahti h jnhaa tk ho in par dhyaan naa hi de toh jaydaa accha hota h. Ghar me family members ya parents ko ultaa javaab dene par baat aage hi badti h jab tak ho sake apni jabaan ko band hi rakhe. Kyoki jab tak ghar gaadi chalti h jaise chalti h chalana cahiye haar nahi maan ni cahiye. Galat kadam bhi nahi uthana cahiye.
Plz agar aap ko koi b problem h toh aap comment karen me deer sabeer jaroor javaab dunga.
Search result for google
Ghar meri kisi se nahi banti kya karun?
Meri gharwalo se mata peeta se ladai hoti rahti h kya karna cahiye?
Family problem hindi solution

Sunday, April 17, 2016

Kuch Pagal Kutto ne ek Real Kutte (Dog) ko Jinda jlaa diya video goes viral on Social Media

Hello ji
Aaj muge bahoot gussa aaya jab mere ek dost ne muge ek video send kiya whatsapp pe.
Mene vo video download kiya toh dekha ki kuch bacche jo 14 se 20 years umar(age) ke honge ek kutte ko jo jindaa h usse aag(fire) laga dete h.

In A Brutal Act These People Set A Dog On Fire And Filmed The Entire Incident #HumanityIsDead
dog fire video by some mental boys
Dog fire video screen shot by some mental boys

Sach me....
Loog etne beeraham ho gaye h ab ki jra si popularity ke liye ek jaan jo boll bhi nahi sakta usse jaraa se maze ke liye aag ke havaale kar dete h or takleef dene se nahi hichkichaate h.
Kutta (Dog) aisa jaanvar h jo shyaad ensaan ke liye sabse barose mand hota h. Or kutta hi kyo jaanvar koi bhi ho uss me jaan tph hoti hi h. Shyad iss kutte ko bhi en insaan ke besh me kutto me galti se ensaaniyat dikhi hogi issliye enke pass aa gya or een pagal kutto ne ye genooni harkat kar di. Bechara kutta iss video me apni jaan bachaane ke liye idhar udhar baag rha h par in kutto ko uss par billkul bhi dyaa nahi aayi ultaa ye loog hans rahe h. Sach me samaj nahi aata ki loog etnee beraham kaise ho gaye h or fir uun isis walo ko ye loog beraham bata te h ye video me jo loog h vo bhi isis walo se kahi piche nahi h.

Ye video pta nahi kaha ka h par me cahata hu ki in pagal kutto ko jo iss video me iss maasum kutte ko jalaane ke liye sajaa jaroor hone cahiye. Or uss sjaa ka ek kaam ye bhi ho ki enki hath ki sirf ek ungli ko jaalaa ke enhee vo jal ne ke dard ka ahsaas karvana cahiye jiss se inhee samaj aa skee ki enhone kya kar diya h.

Dosto me aap sab ko btaa du jal ne ka dard duniya me sabse buraaa dard hota h isski koi seema nahi hoti or ye bahoot hi aasahneey hota h. Iss me jal ne wala agar galti se bach jaata h toh vo khud dard ke maare marne ki duvaa karta h.

Meri bas aap logo se yahi gujaarish h jaanvaro par bahoot dyaa rakhni cahiye. Enmee bhi vahi jaan hoti h jo aap me or mug me h. Enhee bhi vahi dard hota h jo aapko or muge hotaa h.

Kabhi kisi martee ya beemaar jaanvaar ki seva karke usse bacha ke dekho bahoot kushi mileegi vo kushi aisi kushi hogi jo aap laakho rupyee karch karke bhi nahi paa sakte ho.

Or een pagal kutto ke liye me bas yahi kahna cahunga ki ye video agar aapko pta h ki kaha ka h tu inkee khilaaf jaroor action leena hoga. Yaa aap yanha comment karke btaa dejeeye.

Or dosto plz sorry me ynhaa video nahi daal sakta kyoki me nahi cahata ki aaka bhi dimaag kharaab ho jaaye meri tarah issliye agar aapko fir bhi video me enki darindgi dekhni hi h toh youtube par search kar lijiye.
Thanks for read.